
इसके अलावा कई लोगों का सवाल रहता है कि वो आंखों की देखभाल और आंखो की रोशनी बढ़ाने के लिए नंबर के चश्में का इस्तेमाल करते हैं, तो ऐसे में उनके लिए धूप के चश्में का विकल्प कितना सुरक्षित हो सकता है। तो आपको बता दें कि आजकल आप बड़ी ही आसानी से धूप में इस्तेमाल करने के लिए ट्रांजीशन चश्में यानी फोटोक्रोमेक लेंस खरीद सकते हैं। आमतौर पर यह धूप में इस्तेमाल करने के लिए नंबर के चश्में होते हैं। तो अगर आप आंखों की देखभाल के लिए नंबर का चश्मा पहनते हैं, तो आप भी फोटोक्रोमेक लेंस वाले ट्रांजीशन चश्में का इस्तेमाल कर सकते हैं। ट्रांजीशन चश्में के कांच छांव वाले स्थान में सफेद रंग के होते हैं, हालांकि, धूप के प्रभाव में आते ही इनके कांच का रंग गहरा काला या भूरा हो जाता है।
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आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए कैरोटीन युक्त चीजों को शामिल करना चाहिए। कैरोटीन में ल्यूटिन और ज़ैंथिन होता है, जो हमारे रेटिना में मौजूद कैरोटीनॉयड में होता है। कैरोटीनॉयड बढ़ाने के लिए पत्तेदार हरी सब्जियां और अंडे खाएं। कैरोटेनॉयड्स आंखों में पिगमेंट डेंसिटी को बेहतर बनाने में भी फायदेमंद होते हैं। आप इसे सप्लीमेंट के रूप में भी ले सकते हैं। लेकिन इसे लेने से पहले डॉक्टर से टेस्ट जरूर कर लें।
लिक्विड या क्रीमी आई मेकअप में बैक्टीरिया आसानी check here से पनपते हैं। अत: कुछ समय के बाद उत्पादों को बदल नये खरीद लें। यदि आप को कोई संक्रमण हो जाता हैं, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। यदि आपको एलर्जी की शिकायत है, तो एक समय में केवल एक नए उत्पाद का प्रयोग करें। सौंदर्य प्रसाधन को कभी सांझा न करें। मेकअप का उपयोग करने से पहले और बाद में अपने चेहरे को अच्छी तरह से साफ करें, और लैश लाइनों के अंदर सौंदर्य प्रसाधन न लगाएं।
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आंखों को रिलैक्स करने का सबसे बेहतर तरीका है, आंखों के चारों ओर नारियल या बादाम के तेल से मसाज करें। ध्यान रहे कि यह मसाज हल्के हाथों से ही की जाए। इन दो तेलों के अलावा आप विटामिन-ई युक्त तेल भी प्रयोग कर सकते हैं।
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हैलो स्वास्थ्य आपका सबसे भरोसेमंद मित्र बनना चाहता है, जो आपको हेल्दी जिंदगी जीने के लिए जानकारी दे सके.
डॉ. संदीप बब्बर के मुताबिक, बॉडी हाइजीन मेंटेन रखने और इंफेक्शन का खतरा कम करने के लिए दिन में दो बार नहाना फायदेमंद हो सकता है.
कॉटन में बर्फ रखें और उससे अपनी आंखों के ऊपर और आसपास सिकाई करें। ध्यान रहे कि बर्फ को सीधा आंखों पर अप्लाई ना किया जाए
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बेहद गर्म और ड्राई मौसम में डिहाइड्रेशन, पसीना अधिक आने की समस्या, ड्राइनेस और इचिंग ज्यादा होती है. वही दूसरी ओर मौसम में नमी होने पर बैक्टिरियल और फंगल इंफेक्शन का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है.